अल जज़ीरा के मुताबिक़ कल रात से लेकर सुबह तक इज़राइल ने 79 फ़लस्तीनी बेगुनाहों की हत्या की है, ये हत्या सिर्फ़ कल ही नही बल्कि रोज़ रात के अंधेरे में इज़राइल द्वारा सैकड़ों फलस्तीनियों की हत्या की जाती है, इज़राइल पर दूसरा देश उसके आतंकवाद को रोकने के लिए जिस वक़्त हमला कर रहा होता है उस वक़्त भी इज़राइली आर्मी फ़लस्तीन में आतंकियों की तरह बेगुनाहों की जान लेना जारी रखती है, अब ना सिर्फ़ आर्मी हवाई हमलों से मारती है बल्कि जेब में चाकू और कंधे पर बंदूक रखती है, जैसे ही फलस्तीनी दिखाई देता है उसका चाकू से गला रेतकर या गोली से सीना देती है, इज़राइली की वायुसेना का समूह हवाई हमलों से घरों को ज़मींदोज़ करती है उस वक़्त घर में मौज़ूद लोग भी जान गंवा देते है! ये ही इज़राइल की हक़ीक़त और इतिहास है कि जिस वक़्त इज़राइल से सीज़फायर के लिए वार्ता चल रही होती है उस वक़्त उसकी आर्मी दूसरी तरफ़ अपने आतंकवाद का प्रदर्शन करते हुए फ़लस्तीन के बूढ़े, बच्चे, महिलाओं की हत्या कर रही होती है! आप रात जिस वक्त इज़राइल का समर्थन कर रहे थे उस वक़्त भी इज़राइल की आर्मी फ़लस्तीन में मार काट कर वहां के बेगुनाहों की हत्या कर रही थी, रात जिस वक़्त आप I Stand With Israel लिख रहे थे उस इज़राइल फ़लस्तीन में अपने आतंकवाद का प्रदर्शन कर वहां के बेगुनाहों का ख़ून बहा रहा था, सीधा कहा जा सकता है कि आप इज़राइल का सिर्फ़ इस बुनियाद पर समर्थन करते है क्योंकि वो मुस्लिमों की हत्या करता है, क्योंकि वो मुस्लिमों की ज़मीन पर कब्ज़ा करते हुए वहां के बेगुनाहों जान ले रहा है, आप सिर्फ़ मुस्लिम विरोध के चलते इज़राइल का समर्थन करते है,इज़राइल के साथ साथ आप भी मुस्लिमों से नफ़रत का खुलेआम प्रदर्शन कर रहे है, इज़राइल पर दूसरे देशों द्वारा किये गये हमलों को आप इसलिए आतंकवादी हमला करार देते है क्योंकि ख़ुद की रक्षा के लिए हमला करने वाला मुस्लिम देश है या मुस्लिमों की सुरक्षा करने के लिए उसे आतंकवाद का ठप्पा दिया जाता है!